ई माया रघुनाथ की बौरी, खेलन चली अहेरा हो। चतुर चिकनिया चुनि चुनि मारे, कोई न राखेउ नेरा हो।। मौनी  बीर दिगंबर मारे, ध्यान धरंते जोगी हो। ...

माया

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माया

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ई माया रघुनाथ की बौरी, खेलन चली अहेरा हो।
चतुर चिकनिया चुनि चुनि मारे, कोई न राखेउ नेरा हो।।
मौनी  बीर दिगंबर मारे, ध्यान धरंते जोगी हो।
जंगल में के जंगम मारे, माया किनहु न भोगी हो।।
बेद पढंते, बेदुआ मारे, पूजा करते स्वामी हो।
अर्थ बिचारत पंडित मारे, बाँधेउ सकल लगामी हो।।
शृंगी ऋषि बन भीतर मारे, शिर ब्रह्मा का फोरी हो।
नाथ मछंदर चले पीठि दे, सिंगलहू में बोरी हो।।
साकट के घर करता धरता, हरि भगता की चेरी हो।
कहँहि कबीर सुनो हो संतो, ज्यों आवै त्यौं फेरी हो।।

2 comments

  1. Ye sara jagat maya ka hi khel hai. Ek hari nam k siway koi aur isse pichha nahi chhura sakta.

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  2. साहब से सब होत है बन्दा से कछु नाहि।
    राई से पर्वत करे पर्वत राई माहि

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