8:56 AM
दीपोत्सव, भगवान श्रीराम के अपने पिता के वचनों का पालन करते हुए 14 वर्षों के कठिन वनवास, जिसमें माता सीता के हरण के साथ ही भातृ लक्ष्मण क...
दीपोत्सव
दीपोत्सव
Deepawali दीपोत्सव, भगवान श्रीराम के अपने पिता के वचनों का पालन करते हुए 14 वर्षों के कठिन वनवास, जिसमें माता सीता के हरण के साथ ही भातृ लक्ष्मण के शक्तिबाण से घायल होने तक कि कठिन काल भी सम्मिलित था, के उपरांत अयोध्या वापिस लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
दीपोत्सव
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दीपोत्सव, भगवान श्रीराम के अपने पिता के वचनों का पालन करते हुए 14 वर्षों के कठिन वनवास, जिसमें माता सीता के हरण के साथ ही भातृ लक्ष्मण के शक्तिबाण से घायल होने तक कि कठिन काल भी सम्मिलित था, के उपरांत अयोध्या वापिस लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
वनवास के अवधि के विपरीत काल में भी कई अच्छे पल और अच्छी घटनाएं हुई जो न केवल प्रभु श्रीराम के लिये बल्कि सारे जगत के लिये आनंद का पल था। श्रीराम का मुनियों से मिलन ने उनके इहलौकिक अध्यात्मिकता को पराकाष्ठा दी, वहीं रावण वध ने जगत में अच्छाई को पुनः स्थापित किया और तीनों लोक को रावण रूपी आपदा से मुक्ति दिलाई।
अर्थात, विपरीत परिस्थितियों में भी यदि आप भगवान के शरण में रहते हैं, तो मार्ग स्वतः सरल हो जाता है।
बुराई पर विजय का यह अर्थ कदापि नहीं लगानी चाहिए कि आप बुरे व्यक्ति को ढूंढे और उसका नाश करें। बुराई पर विजय का अर्थ स्वयं में निहित बुराई का नाश करना, बुरी आदतों, बुरे विचारों बुरे कर्मों पर विजय पाना। सच्चे अर्थों में तभी आप विजयी होंगे।
कभी-कभी कर्म पथ पर अभिमान के आ जाने से भी लोग अनायास ही बुराई का मार्ग पकड़ लेते हैं। परम् पूज्य सद्गुरु देव कहते हैं-
हो कर्ममय जीवन हमारा, कर्म पूजा नेम हो।
कर्म में, अभिमान का परित्याग ही तो क्षेम हो।।
अर्थात अभिमान का परित्याग कर देना चाहिए।
मैं परम् पूज्य सद्गुरु देव के वचनों को दुहराते हुए परमात्मा से यही प्रार्थना करता हूँ कि वो हमें सदैव सत्मार्ग पर चलने की प्रवृत्ति दें, शक्ति दें-
सब जीव तो संसार के,बहु भांति से संतप्त हैं।
आधि-व्याधि, दुःखादि से व्याकुल, विकल, संत्रस्त हैं।।
है देव मंगलमय, मिटा दो, कष्ट की उद्भावना।
भगवान परिपूरण करो, शुभ शांतिमय यह कामना।।
समस्त जगत के भगवत प्रेमियों को शुभ दीपावली।।
साहेब बन्दगी, साहेब बन्दगी, साहेब बन्दगी ।।
वनवास के अवधि के विपरीत काल में भी कई अच्छे पल और अच्छी घटनाएं हुई जो न केवल प्रभु श्रीराम के लिये बल्कि सारे जगत के लिये आनंद का पल था। श्रीराम का मुनियों से मिलन ने उनके इहलौकिक अध्यात्मिकता को पराकाष्ठा दी, वहीं रावण वध ने जगत में अच्छाई को पुनः स्थापित किया और तीनों लोक को रावण रूपी आपदा से मुक्ति दिलाई।
अर्थात, विपरीत परिस्थितियों में भी यदि आप भगवान के शरण में रहते हैं, तो मार्ग स्वतः सरल हो जाता है।
बुराई पर विजय का यह अर्थ कदापि नहीं लगानी चाहिए कि आप बुरे व्यक्ति को ढूंढे और उसका नाश करें। बुराई पर विजय का अर्थ स्वयं में निहित बुराई का नाश करना, बुरी आदतों, बुरे विचारों बुरे कर्मों पर विजय पाना। सच्चे अर्थों में तभी आप विजयी होंगे।
कभी-कभी कर्म पथ पर अभिमान के आ जाने से भी लोग अनायास ही बुराई का मार्ग पकड़ लेते हैं। परम् पूज्य सद्गुरु देव कहते हैं-
हो कर्ममय जीवन हमारा, कर्म पूजा नेम हो।
कर्म में, अभिमान का परित्याग ही तो क्षेम हो।।
अर्थात अभिमान का परित्याग कर देना चाहिए।
मैं परम् पूज्य सद्गुरु देव के वचनों को दुहराते हुए परमात्मा से यही प्रार्थना करता हूँ कि वो हमें सदैव सत्मार्ग पर चलने की प्रवृत्ति दें, शक्ति दें-
सब जीव तो संसार के,बहु भांति से संतप्त हैं।
आधि-व्याधि, दुःखादि से व्याकुल, विकल, संत्रस्त हैं।।
है देव मंगलमय, मिटा दो, कष्ट की उद्भावना।
भगवान परिपूरण करो, शुभ शांतिमय यह कामना।।
समस्त जगत के भगवत प्रेमियों को शुभ दीपावली।।
साहेब बन्दगी, साहेब बन्दगी, साहेब बन्दगी ।।
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मालिक बाबा - परम पूज्य बौआ साहब जू
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