11:26 PM
परम पूज्य सद्गुरू कबीर साहेब की पावन जयंती पर आप सभी को सप्रेम साहेब — बंदगी।
प्रभु हम पर ऐसी दया—दृष्टि बनाएं कि हम सदैव सद्गुरू कबीर साहेब के पद—चिन्हों पर चलते रहें एवं उनके शुभाशीष से अनुगृहीत हों।
आज इस पावन सुअवसर पर परम पूज्य गुरूदेव बौआ साहब जू द्वारा रचित श्री कबीर साहेब जी की आरती आप सबों को समर्पित है:—
आरती सत्य कबीर की, शुभ आरती कीजै ।
सुंदर बदन बिलोकि के जीवन फल लीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
व्यापक ब्रह्म अखण्ड जो प्रभु अंतरयामी,
जीव उबारन कारणे प्रकटे जग स्वामी ।
ऐसे गुरू दयालु की वाणी सुनि लीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
लिंग, रूप नहिं रंग है सब जीव समाना,
तन माया में आइ के निज रूप भुलाना ।
अपने आत्म—स्वरूप का चिन्तन करि लीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
दया राखु सब जीव पर दु:ख काहु न देना,
सबका भला मनाइ के सेवा गहि लेना ।
साहब दीन दयालु की भक्ति मन दीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
तेरे घट में राम हैं निज घटहि समाओ,
अंतर—ध्यान लगाई के हरि को प्रकटाओ ।
ह्रदय राखि हरिनाम को सुमिरन करि लीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
संत गुरू संसार में हैं हरि के चेरा,
उनसे प्रीति लगाई के हरि पुर करू डेरा ।
सत्य सत्य हरि सत्य हैं सत्य को गहि लीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
परम पूज्य सद्गुरू कबीर साहेब की पावन जयंती पर आप सभी को सप्रेम साहेब — बंदगी। परम पूज्य सद्गुरू कबीर साहेब की पावन जयंती पर आप सभी को...
परम पूज्य सद्गुरू कबीर साहेब
परम पूज्य सद्गुरू कबीर साहेब
परम पूज्य सद्गुरू कबीर साहेब की पावन जयंती पर आप सभी को सप्रेम साहेब — बंदगी। प्रभु हम पर ऐसी दया—दृष्टि बनाएं कि हम सदैव सद्गुरू कबीर साहेब के पद—चिन्हों पर चलते रहें एवं उनके शुभाशीष से अनुगृहीत हों। आज इस पावन सुअवसर पर परम पूज्य गुरूदेवर बौआ साहब जू द्वारा रचित श्री कबीर साहेब जी की आरती आप सबों को समर्पित है:—
परम पूज्य सद्गुरू कबीर साहेब
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परम पूज्य सद्गुरू कबीर साहेब की पावन जयंती पर आप सभी को सप्रेम साहेब — बंदगी।
प्रभु हम पर ऐसी दया—दृष्टि बनाएं कि हम सदैव सद्गुरू कबीर साहेब के पद—चिन्हों पर चलते रहें एवं उनके शुभाशीष से अनुगृहीत हों।
आज इस पावन सुअवसर पर परम पूज्य गुरूदेव बौआ साहब जू द्वारा रचित श्री कबीर साहेब जी की आरती आप सबों को समर्पित है:—
आरती सत्य कबीर की, शुभ आरती कीजै ।
सुंदर बदन बिलोकि के जीवन फल लीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
व्यापक ब्रह्म अखण्ड जो प्रभु अंतरयामी,
जीव उबारन कारणे प्रकटे जग स्वामी ।
ऐसे गुरू दयालु की वाणी सुनि लीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
लिंग, रूप नहिं रंग है सब जीव समाना,
तन माया में आइ के निज रूप भुलाना ।
अपने आत्म—स्वरूप का चिन्तन करि लीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
दया राखु सब जीव पर दु:ख काहु न देना,
सबका भला मनाइ के सेवा गहि लेना ।
साहब दीन दयालु की भक्ति मन दीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
तेरे घट में राम हैं निज घटहि समाओ,
अंतर—ध्यान लगाई के हरि को प्रकटाओ ।
ह्रदय राखि हरिनाम को सुमिरन करि लीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
संत गुरू संसार में हैं हरि के चेरा,
उनसे प्रीति लगाई के हरि पुर करू डेरा ।
सत्य सत्य हरि सत्य हैं सत्य को गहि लीजै ।।
आरती सत्य कबीर .................
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मालिक बाबा - परम पूज्य बौआ साहब जू
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